खता क्या थी मेरी ?(अंतिम भाग)
गतांक से आगे
कनक गला फाड़कर रो रही थी ,"ददू !यही फर्श के नीचे मेरा पार्थिव शरीर गढ़ा है। मुझे मुक्ति दिला दो ददू मेरे सैफ मेरा इंतजार कर रहे हैं।"ठाकुर साहब की आंखों में अविरल आंसू बह रहे थे जाप निरन्तर चालू था कनक की आत्मा सामने बैठी रोए जा रही थी ।तभी अचानक कनक की आत्मा चीख पड़ी,"ददू मुझे बचा लो वो देखो।"ठाकुर साहब ने उसके इशारे की ओर देखा तो पाया भगवान सिंह, ईश्वर सिंह, भवानी सिंह ,गनपत साहू की पत्नी के साथ खड़े थे।,"तू सब्र रख ये अब तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।"ठाकुर साहब बोले। उन्होंने देखा गनपत की बीवी बिल्कुल पागलों की तरह हरकत कर रही थी ।जैसे ही कनक का नाम आया वो पागलों की तरह चिल्लाते हुए पूरे आंगन में दौड़ने लगी ,"हां मैंने मार दिया कनक को ।हे बेटी मुझे बक्श दे मैं तेरी गुनहगार हूं मेरे पाप मेरे सामने आ गये है मुझे बक्श दे।"यह कह कर वो अपना सिर ज़ोर ज़ोर से आंगन के फर्श पर मारने लगी ।पगली पश्चाताप की आग में जलकर् खुद ही ध्वस्त हो गई।कनक ने भी उसकी ऐसी हालत देखी तो उसे बक्श दिया।अब ठाकुर साहब का काम रह गया था उन्होंने तेज तेज जप करना शुरू कर दिया।जैसे ही यज्ञ पूर्ण हुआ एक तेज रौशनी उपर से आयी।कनक जैसे ही उठी उनके साथ ठाकुर महेन्द्र प्रताप को सैफ खड़ा दिखाई दिया ,"ददू!सैफ।"कनक के बोलते ही ठाकुर साहब बोले, पड़े," मुझे पता है।"इससे पहले ठाकुर ने नौकरों से कहकर कनक की अस्थियां बाहर निकलवा ली थी ।उसपर गंगा जल छिड़क कर उसे आग के सुपूर्द कर दिया ठाकुर साहब और उनके तीनों बेटों ने हाथ जोड़कर कनक से विदाई ली।सभी हाथ जोड़कर कनक से विदा ले रहे थे ठाकुर साहब बोले ,"बिटिया अब अपने आशीर्वाद का हाथ इस गांव पर और हम पर बनाए रखना । यहां पहले भी कन्या पूजी जाती थी और आगे भी पूजी जाएगी।बस अब तू अपनी मंजिल की ओर जा मेरी बेटी । हमारे से या इस गांव के लोगों से कोई भूल हुई हो तो हमें क्षमा करना।"
ठाकुर साहब ने देखा कनक और सैफ उस तेज रोशनी में समाते चले आते और भकक से वह रौशनी आसमान में चली गयी । ठाकुर महेन्द्र प्रताप काफी समय ऐसे ही अपनी बिटिया को जाते हुए देखते रहे। थोड़ी देर बाद भगवान सिंह ठाकुर साहब के पास आकर बोला ,"पिताजी यो गनपत की बहू का भी अंतिम संस्कार करना है थेह उठो अब।"ठाकुर साहब उठें और बेटों को गनपत की बहू का अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सौंप कर हवेली आ गये ।जब तीनों भाई उसका अंतिम संस्कार कर आते तो ठाकुर साहब ने तीनों बेटों को अपने कमरें में बुलाया और कहा,"बेटों कभी भी अपने घरों में बेटी की अवहेलना मत होने देना। तुम लोगों ने देखा ना कनक की अवहेलना की तो सारा परिवार ही नष्ट हो गया ।"भगवान सिंह बोला,"पिताजी यो गनपत की हबेली को पैसे का कै बने गा अब तो इसका कोई आलीवारीस ही कोनी।"ठाकुर महेन्द्र प्रताप बोले,"यो सारा पैसा गांव में कन्या पाठशाला खोलने में लगा दो और भी पैसे की जरूरत पड़ी तो हम लगायेंगे। पाठशाला का नाम'कनक विद्या निकेतन' होगा और कनक की हवेली की जगह जो बंकटहाल (शादीहाल)बनेगा उसका नाम भी कनक के नाम पर होगा।" जो आज्ञा पिताजी "ये कह कर तीनों बेटे चले गये। ठाकुर महेन्द्र प्रताप सोच रहे थे आज से कनक उनकी बेटी है उसे वो ही सम्मान इस घर में मिलेगा जो एक घर की बेटी को मिलता है ठाकुर साहब आसमान की ओर देख रहे थे कनक और सैफ दोनों हाथ जोड़कर उनकी देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे ।
कहते हैं कि जब तक ठाकुर साहब जीवित रहे तब तक जो बंकटहाल कनक के नाम से बनवाया था उसका पैसा सारा "कनक विद्या निकेतन" नाम से जो कन्या पाठशाला बनवाया था उसी के विकास मे खर्च करते रहे।पर कहते है लालच बुरी बला है सो एक बार भवानी सिंह के मन मे लालच आ गया कि बस अब बहुत हुआ पाठशाला का विकास ,उसने शादीहाल से जो पैसा आया उसे एक नयी गाड़ी खरीदने मे लगा दिया फिर जो भवानी सिंह का बुरा हाल हुआ ये सारा गांव जानता है।कनक जिसने अब गांव की देवी का रुप ले लिया था।पता नही कनक की आत्मा ने या भवानी सिंह के अंदरूनी भय ने उसका बुरा हाल कर दिया।वो ऐसी बीमारी से ग्रस्त हो गया जो डाक्टर की समझ से बाहर थी ।उसकी पत्नी बच्चों समेत मायके चली गयी।घर का बुरा हाल हो गया। बड़े भाई भगवान सिंह के बहुत समझाने पर भवानी सिंह ने अपनी गलती मानी और जो कनक के नाम से ठान(पूजा करने का स्थान)बना रखा था वहां जा कर नाक रगड़ कर माफी मांगी।
उसके बाद कितने ही बाग बगीचे, धर्मशाला, कुएं, तालाब , बावड़ी आदि कनक के नाम पर बनी।और उसके बाद सही मायने में कन्याओं की पूजा उस गांव में होने लगी।(इति)
Sandhya Prakash
22-Mar-2022 02:24 PM
Bahut sundr kahani likhi h aapne padh kar emotional attachment feel hone lga. Good writing skill keep it up
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Monika garg
22-Mar-2022 03:08 PM
धन्यवाद आपका
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Seema Priyadarshini sahay
27-Feb-2022 01:36 AM
बहुत ही अच्छी कहानी है मैम
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Monika garg
27-Feb-2022 09:45 AM
धन्यवाद
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Punam verma
26-Feb-2022 03:22 PM
बहुत बढ़िया है कहानी का अंत और सुखद भी
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Monika garg
26-Feb-2022 06:27 PM
धन्यवाद
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